Passport आवेदन स्वीकृत हो गया है का क्या मतलब है//पासपोर्ट समीक्षाधीन है//पुलिस सत्यापन
Passport बनवाने की सोच रहे हैं, पर क्या आप पुलिस वेरिफिकेशन के बारे में जानते हैं? अक्सर लोगों को यही लगता है कि पुलिस बस घर आएगी, आपका पता पूछेगी और चली जाएगी। पर ऐसा नहीं है! पुलिस वेरिफिकेशन के भी तीन अलग-अलग तरीके होते हैं, और अगर आप इन्हें नहीं समझेंगे तो हो सकता है आपका काम अटक जाए या देर हो जाए।
आज हम इन्हीं तीन तरीकों की बात करेंगे: Passport Pre verification | Post Verification | No Verification

1. प्री-वेरिफिकेशन (Pre-Verification): सबसे कॉमन तरीका
सोचिए, आप पासपोर्ट के लिए अप्लाई करते हैं और पासपोर्ट ऑफिस वाले आपकी जानकारी पुलिस के पास भेज देते हैं। पुलिस अधिकारी आपके घर आते हैं, आपके पते, पहचान और बाकी डिटेल्स की जांच करते हैं। जब पुलिस अपनी रिपोर्ट देती है कि सब कुछ ठीक है, तब जाकर आपका पासपोर्ट बनता है।
यह तरीका सबसे आम है और इसे उन लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो पहली बार पासपोर्ट बनवा रहे हैं। इसमें Passport जारी होने में थोड़ा समय लग सकता है, क्योंकि पुलिस की रिपोर्ट का इंतज़ार करना पड़ता है। पर इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि एक बार रिपोर्ट सही आ गई, तो कोई टेंशन नहीं, आपका पासपोर्ट सुरक्षित है।
2. पोस्ट-वेरिफिकेशन (Post-Verification): अर्जेंट वालों के लिए
मान लीजिए आपको कहीं अर्जेंट जाना है और आपको जल्दी पासपोर्ट चाहिए। यहाँ काम आता है पोस्ट-वेरिफिकेशन। इस तरीके में Passport ऑफिस वाले आपको पुलिस वेरिफिकेशन की रिपोर्ट का इंतज़ार नहीं करवाते। वे आपका पासपोर्ट तुरंत बना देते हैं, और पुलिस जांच बाद में होती है।
यह तरीका खास तौर पर तत्काल पासपोर्ट के लिए होता है। पासपोर्ट तो आपको जल्दी मिल जाएगा, लेकिन पुलिस की जांच बाद में होती है। अगर बाद में जांच के दौरान कोई गड़बड़ी मिली, जैसे कि आपका पता गलत निकला या आपके ऊपर कोई केस है, तो आपका पासपोर्ट रद्द हो सकता है। इसीलिए, अगर आप इस तरीके का इस्तेमाल कर रहे हैं तो यह सुनिश्चित कर लें कि आपकी सारी जानकारी 100% सही हो।
3. नो-वेरिफिकेशन (No-Verification): सरकारी लोगों के लिए
क्या आपने कभी सोचा है कि कुछ लोगों का पासपोर्ट बहुत जल्दी कैसे बन जाता है? इसका कारण है नो-वेरिफिकेशन। इस प्रक्रिया में, पुलिस की कोई जांच होती ही नहीं है।
यह सुविधा सिर्फ कुछ खास लोगों के लिए है, जैसे सरकारी कर्मचारी या पीएसयू (सरकारी कंपनी) में काम करने वाले लोग। ऐसा इसलिए, क्योंकि उनके पास उनके डिपार्टमेंट से एक सर्टिफिकेट होता है जिसे “नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट” (No Objection Certificate – NOC) कहते हैं। यह सर्टिफिकेट ही उनकी पहचान और रिकॉर्ड की गारंटी होता है, इसलिए पुलिस वेरिफिकेशन की ज़रूरत नहीं पड़ती। यह सबसे तेज़ तरीका है, लेकिन यह हर किसी के लिए नहीं होता।
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