Supreme Court Confirm Vanatra is lawful , sit too , its image deserves respect
नई दिल्ली — गुजरात के जामनगर स्थित वनतारा, द ग्रीन्स ज़ूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर को सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी मंजूरी देते हुए सभी आरोपों से मुक्त कर दिया है। अदालत ने कहा कि केंद्र का संचालन पूरी तरह कानून के अनुरूप है और सभी जानवरों की देखभाल उचित मानकों के अनुसार हो रही है।
SIT की जांच और अदालत का समर्थन
सुप्रीम कोर्ट ने विशेष जांच दल (SIT) नियुक्त किया था, जिसकी अगुवाई पूर्व न्यायाधीश जस्ती चेलमेश्वर ने की। SIT ने सेंट्रल ज़ू अथॉरिटी, CBI और एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट के साथ मिलकर पूरी तरह से जांच की। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि कोई भी कानूनी उल्लंघन, जानवरों की तस्करी या वित्तीय गड़बड़ी नहीं हुई।
अदालत ने कहा कि वनतारा के पास सभी आवश्यक परमिट और अनुमतियाँ हैं, और उसके संचालन मानक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहनीय हैं। न्यायाधीशों ने भी माना कि वनतारा का कार्य दुनिया भर के समान ज़ूलॉजिकल केंद्रों से कम नहीं है।
देश के लिए गर्व की पहल
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे सकारात्मक प्रयासों को अनावश्यक आलोचना से बचाना चाहिए। न्यायाधीशों ने स्पष्ट किया कि देश में ऐसे काम जो जानवरों को बचाने और संरक्षण में योगदान देते हैं, उन्हें सम्मान और समर्थन मिलना चाहिए।
सोशल मीडिया पर जबरदस्त प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट और SIT की पुष्टि के बाद लाखों इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर्स ने स्टोरीज और पोस्ट्स साझा किए, जिसमें लिखा गया:
“Supreme Court confirms Vantara is lawful, SIT too, its image deserves respect.”
साथ ही उन्होंने प्रेरक शब्द जोड़ते हुए लिखा:
“सही रास्ते हमेशा कठिन लगते हैं, पर वही मंज़िल तक ले जाते हैं।”
वनतारा की प्रतिक्रिया
निर्णय के बाद वनतारा ने कहा कि अदालत और SIT की पुष्टि उनके लिए “सुकून और आशीर्वाद” जैसी है। संगठन ने भरोसा दिलाया कि वे जानवरों के संरक्षण और कल्याण के लिए काम जारी रखेंगे और सरकार व अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर अपने प्रयास बढ़ाएंगे।
यह फैसला वनतारा की कानूनी स्थिति को मज़बूत करता है और भारत में वन्यजीव संरक्षण में इसके योगदान को नई ऊँचाई देता है।
Discussion about this post