Viswanathan Anand का बयान: D Gukesh को ‘D’ ग्रेड मिलता, पर ‘B’ दिया – Norway Chess 2025 पर प्रतिक्रिया

आनंद ने अब भी युवा प्रतिभाओं के लिए अपना विश्लेषण साझा किया है—जहाँ एक ओर उन्होंने गुकेश के आत्मविश्वास को सराहा, वहीं सुधार के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए। लियोन मास्टर्स में उनका प्रदर्शन यह दर्शाता है कि वे अभी भी शीर्ष स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हैं।

जुलाई 9, 2025 - 12:36
जुलाई 9, 2025 - 12:38
 0  8
Viswanathan Anand का बयान: D Gukesh को ‘D’ ग्रेड मिलता, पर ‘B’ दिया – Norway Chess 2025 पर प्रतिक्रिया

विश्वनाथन आनंद भारत के एक महान शतरंज खिलाड़ी हैं, जिन्हें दुनिया भर में उनकी तेज खेल शैली, रणनीतिक सोच और भारत में शतरंज को लोकप्रिय बनाने में योगदान के लिए जाना जाता है। उनका जन्म 11 दिसंबर 1969 को तमिलनाडु के मयिलादुथुराई (उस समय मद्रास) में हुआ था और उन्होंने चेन्नई में परवरिश पाई। बचपन में ही उनकी प्रतिभा सामने आने लगी थी और उन्होंने कम उम्र में ही कई टूर्नामेंट जीतकर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा।

उन्होंने 1983 में राष्ट्रीय उप-चैम्पियनशिप जीतकर अपनी प्रतिभा का प्रमाण दिया और मात्र 14 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई। 1987 में वह जूनियर शतरंज विश्व चैंपियन बने और भारत के पहले ग्रैंडमास्टर बनने का गौरव 1988 में प्राप्त किया। यह उपलब्धि उस समय बेहद महत्वपूर्ण मानी गई क्योंकि तब भारत में शतरंज उतना लोकप्रिय या विकसित नहीं था।

TRANSCEND MEDIA SERVICE » Chess King Gukesh: How an 18-Year-Old Indian  Dreamer Checkmated the World

विश्वनाथन आनंद को उनकी खेल शैली के कारण "लाइटनिंग किड" कहा गया। उनकी चालों की गति और चतुराई ने उन्हें जल्द ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बना दिया। उन्होंने दुनिया के लगभग हर प्रमुख शतरंज खिलाड़ी के खिलाफ खेला है और कई बार उन्हें हराया भी है।

2000 में वह FIDE विश्व शतरंज चैंपियन बने और इसके बाद 2007, 2008, 2010 और 2012 में भी विश्व शतरंज चैंपियन रहे। 2013 में वह मैग्नस कार्लसन से हार गए, लेकिन उन्होंने हार के बाद भी प्रतिस्पर्धा जारी रखी और शतरंज के उच्च स्तर पर सक्रिय रहे। उनकी यह दृढ़ता और खेल के प्रति समर्पण उन्हें एक प्रेरणास्रोत बनाती है।

उनकी उपलब्धियों के लिए भारत सरकार ने उन्हें कई प्रतिष्ठित सम्मान दिए हैं जिनमें पद्म श्री (1988), पद्म भूषण (2000), और पद्म विभूषण (2007) शामिल हैं। वह भारत के पहले खेल खिलाड़ी हैं जिन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

विश्वनाथन आनंद ने न केवल खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया बल्कि शतरंज को भारत में एक सम्मानजनक खेल के रूप में स्थापित किया। उनके आने के बाद ही भारत में कई युवा शतरंज खिलाड़ियों को प्रेरणा मिली और देश में एक नई शतरंज क्रांति की शुरुआत हुई।

वह अब भी सक्रिय रूप से शतरंज के आयोजनों, कोचिंग और कमेंट्री में भाग लेते हैं। साथ ही, युवा खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने और भारत को शतरंज में वैश्विक मंच पर मजबूत करने के लिए निरंतर प्रयास

आपकी प्रतिक्रिया क्या है?

पसंद करें पसंद करें 0
नापसंद नापसंद 0
प्यार प्यार 0
मज़ेदार मज़ेदार 0
Angry Angry 0
दुखद दुखद 0
वाह वाह 0
JyotiGupta TV Journalist | Working with @Nationwire| Writer | Explorer | Social Media Expert | RTs, Likes & Links r not an Endorsement,Multi Media Producer